जीवन में ठहराव यानी विराम बहुत आवश्यक है, आप लगातार बैठ नहीं सकते, चल नहीं सकते न ही भाग सकते हैं आप को समय समय पर हर कार्य को करने के लिए विराम की आवस्यकता पड़ती हैं। आप सांस लेते हैं तो भी एक सेकंड के लिए रुकते हैं, आप खाना खाने में भी विराम लेते हैं। हम सभी को हर एक काम व गतिविधि के बीच विराम की आवस्यकता होती है। ठीक इसी प्रकार हम भाषा को लिखने और बोलने में भी विराम लेते हैं। कभी हमें बहुत काम देर के लिए बोलना होता है तो कभी यह देरी या दूरी बढ़ जाती है। हम जितनी देर के लिए रुकते हैं वैसा ही विराम चिन्ह (Viram Chinh) का प्रयोग करते हैं।
विराम चिन्ह क्या होते हैं? Viram Chinh ki Paribhasha
भाषा लिखते समय उसमें ठहराव या विराम लाने के लिए हम जिन चिन्हों का प्रयोग करे हैं उन्हें विराम चिन्ह कहते हैं। बोलने में, पढ़ने में जो विराम लिया जाता है, उसे लिखते समय विशेष चिन्हों की आवश्यकता पड़ती है। ये विराम चिन्ह एक प्रकार के संकेत होते हैं।
भाषा के लिखित रूप में कब, कितना और कैसे रुकना है, इसके लिए लिखते निश्चित किये गए हैं।
हिंदी में प्रयुक्त किये जाने वाले कुछ विराम चिन्ह:
विराम चिन्ह के भेद व् प्रकार / Viram Chinh ke Bhed
अल्पविराम / Alpviram ( , )
जब दो संख्याओं, संज्ञाओं, सर्वनामों, क्रियाओं, इत्यादि के बीच अत्यधिक अलप समय के लिए रुकना हो तो वहां अल्पविराम चिन्ह का प्रयोग होता है। कई और भी स्तिथियाँ हैं, जहां अल्पविराम का प्रयोग होता है।
(क) दो या दो से अधिक समान महत्त्व वाले शब्दों या संख्याओं में अलगाव दिखाने के लिए।
मोहन, सोहन और कल्याणी घूमने गए।
यहाँ पर तीन नामों का प्रयोग किया गया है जो की संज्ञा हैं। इसलिए पहले दो नामों के बीच थोड़े समय के विराम के लिए अल्पविकराम चिन्ह का प्रयोग हुआ है।
अन्य उदाहरण
1, 2, 3, तथा 4 नंबर वाली बसों में ईंधन भर दो।
विद्यालय में छात्र, छात्राएं, अध्यापक, अध्यापिकाएं सभी आते हैं।
(ख) वाक्य में उपवाक्यों के बीच अलगाव दिखाने के लिए।
पढाई के साथ-साथ खेलना-कूदना, मेरी राय में, शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सबसे सही है।
(ग) उद्धरण चिन्ह से पूर्व-
गाँधी जी ने कहा था, “अहिंसा के मार्ग पर चलो”
(घ) ‘हाँ’ या ‘नहीं’ के बाद कुछ स्तिथियों में –
नहीं, मैं आज खेलने नहीं जा सकता।
(ङ) पत्र लिखते समय अभिवादन के बाद –
पूज्य पिता जी, मैं ठीक हूँ।
अल्पविराम का प्रयोग ऐसे ही कई जगहों पर किया जाता है।
अर्धविराम /Ardhviram (;)
वाक्य में जब अल्पविराम की तुलना में थोड़ा और अधिक रुकना हो तब हम अर्धविराम का प्रयोग करते हैं। इसका प्रयोग सामान्यतः कई स्तिथियों में होता है-
(क) दो या दो से अधिक स्वतंत्र पवाक्यों के बीच जब कोई योजक न हो।
मैं स्कूल से आया; भोजन किया और खेलने निकल पड़े।
(ख) मिश्र तथा संयुक्त वाक्यों में विपरीत अर्थ देने वाले उपवाक्यों के बीच।
पुलिस पूछताछ करती रही; चोर झूठ बोलते रहे।
(ग) मिश्र वाक्य में प्रधान उपवाक्य तथा उसकी क्रिया का कारण बताने वाले उपवाक्य के बीच।
मैं आपके यहां नहीं पहुंच सका; क्योंकि बरसात हो रही थी।
पूर्णविराम /Poornviram ( | )
पूर्णविराम का प्रयोग वाक्य के पूरा होने की स्तिथि में होता है।
भारत एक महान देश है।
शाहरुख़ खान एक अभिनेता हैं।
ईमानदारी अच्छे व्यक्तित्व की पहचान है।
प्रश्नसूचक चिन्ह/ Prashnsoochak Chinh (?)
इस चिन्ह का प्रयोग प्रश्न पूछने की स्तिथि में किया जाता है।
आप ने क्या किया?
आज आपने क्या खाया?
भारत के राष्ट्रपति कौन हैं?
रावण ने किसका हरण किया?
किसने मुझे चोट पहुंचाई?
विषमयादिबोधक चिन्ह / Vishmyadhibodhak Chinh ( ! )
हैरानी, भय, घृणा, ख़ुशी, आदि मनोभावों को प्रकट करने वाले वाक्यों में, प्रारम्भ के शब्दों में इसका प्रयोग किया जाता है।
अरे! तुमने यह क्या किया?
शाबाश! इसी तरह पढ़ाई करो।
ओफ! तुम्हे कब तक एक ही बात समझानी पड़ेगी।
योजक चिन्ह / Yojak Chinh (-)
दो शब्दों के बीच तुलना, विरोध या समानता बताने की स्तिथि में इसका प्रयोग करते हैं।
(क) द्वन्द्व समास में – माता-पिता, भाई-बहन।
(ख) पुनरुक्त शब्दों के बीच में – जाते-जाते, कहते-कहते।
(ग) समानता या तुलना करते समय – चाँद-सा, सुनहरा-सा।
कोष्ठक / Kosthak ( )
यहां शब्द को कोठरी में बंद कर दिया जाता है। जैसे –
(क) किसी शब्द या कथन को वाक्य के बीच में ही स्पष्ट करने के लिए।
धृतराष्ट्र ने गांधारी (अपनी पत्नी) को समझाने की कोशिश की।
(ख) नाटक में नाट्य संकेतों के साथ –
सावित्री (हँसते हुए): धीरे चलो।
(ग) गणित के प्रश्न-उत्तरों में कोष्ठकों का प्रयोग।
2+(3+5) हल करो।
उद्धरण चिन्ह / Uddharan Chinh (” “)
किसी के कथन को वैसा ही रखने के लिए जैसा वह कहा गया हो, तब हम इस चिन्ह का प्रयोग करते हैं।
मोदी जी ने कहा था, “मैंने नए भारत का सपना देखा है।”
इकहरा उद्धरण चिन्ह (‘ ‘)
किसी व्यक्ति या पुष्तक के नाम या उपनाम के साथ इकहरे उद्धरण चिन्ह (‘ ‘) का प्रयोग होता है।
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
लाघव चिन्ह / Laghav Chinh( ॰ )
जब किसी विशेष को अधूरा लिख देने भर से जहां काम चल जाए, वहां इसका प्रयोग होता है।
डॉ॰ चंद्रचूड़ अवस्थी।
निर्देशक चिन्ह / Nirdeshak Chinh (-)
यह चिन्ह किसी बात को स्पष्ट करने के लिए, उदाहरण देते समय, नाम, आदि के बाद लगाया जाता है।
उनकी दो बेटियां हैं। – प्रेरणा और सुवर्णा।
नेता जी ने नारा दिया – तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा।