Vachya Ki Paribhasha Bhed aur Udahran

वाच्य (Vachya) की परिभाषा, भेद और उदाहरण | Vachya Kise Kahte Hain

दोस्तों आज हम लोग वाच्य के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे। वाच्य क्या होते हैं? इसकी परिभाषा क्या है? वाच्य के भेद या प्रकार कितने हैं? और हम इन सभी भेद को इनके उदाहरण के ज़रिये समझने का प्रयास करेंगे। दोस्तों अगर आपको वाच्य समझने हैं तो पहले आपको क्रिया से जुड़ी सारी जानकारियां पता होनी चाहिए। 

वाच्य किसे कहते हैं? Vachya Kise Kahte hain?

दोस्तों क्रिया तो आप जानते ही है किसे कहते हैं। अब चलिए जानते हैं वाच्य क्या है? 

Vachya Ki Paribhasha: क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की वाक्य में क्रिया के होने का मुख्य कारण (विषय) क्या है, उसी विषय या कारण को हम वाच्य कहते हैं।

अब हम एक परिभाषा यह भी बता सकते हैं –

क्रिया की रचना जिसके प्रभाव में होती है उसे क्रिया का वाच्य कहते हैं। 

इस प्रकार क्रिया के लिए कौन सी चीज़े महत्त्व रखती हैं- कर्ता, कर्म या भाव, इसी से क्रिया का वाच्य निर्धारित होता है।

हो सकता है की अभी आपको यह बात समझ नहीं आई होगी, जब आप वाच्य के उदाहरण और इसके भेद सहित उनके उदाहरण पढ़ेंगे तो आप धीरे धीरे वाच्य को गहराई से जानेंगे।

चलिए एक उदाहरण से इस बात को समझते हैं। 

ऊपर दिए चित्र में आपने क्या देखा-

1) लड़का फुटबॉल खेल रहा है। 

2) लड़के के द्वारा फुटबॉल से खेला जा रहा है। 

3) खेला जा रहा है। 

हमने यहां उस तस्वीर को देखते हुए तीन वाक्य बनाये, तीनों वाक्यों की स्थिति में अंतर है। 

पहले स्थिति में लड़का महत्वपूर्ण नज़र आ रहा क्योंकि साफ़-साफ़ वाक्य में दिखाई दे रहा की उसे इस तरह रचा गया है की इस वाक्य में लड़के को महत्वपूर्ण बताया जा रहा है, बात लड़के को केंद्रित कर हो रही है। यहां विषय लड़का है। 

दूसरे वाक्य में फुटबॉल का महत्त्व बढ़ गया क्योंकि इसमें फूटबाल को केंद्र में रख के बात हुई है। यहां विषय फूटबाल है।  

तीसरे वाक्य में जो स्थिति है उसमे खेलने का भाव क्रिया के साथ जुड़ गया है। 

इसी आधार पे क्रिया के वाच्य का निर्धारण होता है। 

वाच्य के भेद।(Vachya Ke Bhed)

वाच्य के तीन प्रकार व भेद हैं। 

कर्तृवाच्य 

कर्मवाच्य 

भाववाच्य 

कर्तृवाच्य (Kartrivachya)

जिन वाक्यों में कर्ता की प्रधानता होती है, उन वाक्यों में क्रिया का वाच्य कर्तृवाच्य कहलाता है। 

कविता सोती है। 

नीलम पढ़ती है। 

मुकेश भागता है। 

ऊपर के तीनो वाक्यों में क्रिया का लिंग-वचन कर्त्ता के प्रभाव में निश्चित हुआ है, जिससे पता चलता है की वाक्य की रचना करने में करता को प्रधान रखा गया है। ‘सोती है’ क्रिया स्त्रीलिंग एकवचन ‘कविता’ के स्त्रीलिंग-एकवचन होने के कारण ही है।  यही बात पढ़ने और भागने पर लागू होती है। 

कर्तृवाच्य अकर्मक और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं में हो सकता है। 

सुनयना चलती है।  (अकर्मक क्रिया)

सुनयना गीत जाती है (सकर्मक)

दोस्तों अगर आपको सकर्मक और अकर्मक क्रिया में अंतर नहीं पता तो आपको पहले हमारे द्वारा लिखी गयी क्रिया के बारे में जानकारी पढ़नी चाहिए।  

सकर्मक क्रियाओं में कर्तृवाच्य उसी स्थिति में होगा जब तक क्रिया की रचना करता की छाया में होगी।   

राहुल ने पुस्तक पढ़ी। 

राहुल ने पाठ पढ़ा। 

इन वाक्य रचनाओं में पढ़ना क्रिया पुस्तक और पाठ के प्रभाव में निर्मित हो रही है। इसलिए इसे कर्तृवाच्य में नहीं कर्मवाच्य में रखा जाना चाहिए था। हालांकि इस विषय में मतभेद है कुछ विद्वान इसे कर्तृवाच्य में ही रखना पसंद करते हैं। 

कर्मवाच्य (Karmvachya)

जिस वाक्य रचना में कर्म की प्रधानता होती है, उनकी क्रिया का वाच्य कर्मवाच्य कहलाता है। 

रोहन ने मिठाई खाई। 

ममता ने अमरुद खाए। 

यहां ‘रोहन’ और ‘ममता’ करता हैं और ‘मिठाई’ और ‘खरबूजा’ कर्म हैं। मिठाई खाई गई है, अमरुद खाए गए हैं। ऊपर के दोनों वाक्यों में क्रिया का वाच्य कर्मवाच्य है। 

कर्मवाच्य का मतलब यही है की करता द्वारा कोई कार्य किया गया है, वो भी किसी अन्य चीज़ पर। 

कर्मवाच्य केवल सकर्मक क्रियाओं (सभी में नहीं) में संभव हैं। जहां कर्म छिपा हुआ हो, वहां भी कर्मवाच्य नहीं हो सकता। 

भाववाच्य (Bhavvachya)

जिन वाक्यों में करता और कर्म दोनों में से कोई प्रधान नहीं होता, बल्कि कोई भाव या विचार प्रधान होता है, ऐसे वाक्यों की क्रिया का वाच्य भाववाच्य कहलाता है। जैसे-

बच्चों से खेला जाता है। 

बच्चे से खेला जाता है। 

बच्चियों से खेला जाता है। 

हमने बच्चों का रूप-लिंग परिवर्तन किया तो भी ‘खेलने’ का रूप ‘खेला जाता है’ ही रहा। इससे पता चलता है की इस प्रकार के वाक्य रचना में  क्रिया का वाच्य भाववाच्य है। भाववाच्य में क्रिया हमेशा अकर्मक ही होती है। भाववाच्य में  मुख्य क्रिया के साथ ‘आ’ प्रत्यय + जाता है/जाए/जाएगा, का प्रयोग होता है। 

वाच्य परिवर्तन 

वाच्य परिवर्तन करने के लिए कुछ बातें ध्यान में रखी जा सकती हैं। 

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना   

1. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाने के लिए करता के साथ (करण कारक की विभक्ति) से के द्वारा का प्रयोग किया जा सकता है। 

बच्चे खेलते हैं। (कर्तृवाच्य)

बच्चों से खेला जाता है।  (कर्मवाच्य)

बच्चों के द्वारा खेला जाता है। (कर्मवाच्य)

2. कर्तृवाच्य को कर्मवाच्य में बदलने के लिए मुख्य क्रिया के साथ ‘जाना’ क्रिया ‘ता’ प्रत्यय के साथ जोड़ी जाती है। 

वह सोचती है। (कर्तृवाच्य)

उससे सोचा जाता है। (कर्मवाच्य)

वह नृत्य करती है। (कर्तृवाच्य)

उससे नृत्य किया जाता है। (कर्मवाच्य)

कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना 

कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाने में इन बातों का ध्यान रखें। 

1. भाववाच्य में कर्म तो होता नहीं, करता के साथ ही करण कारक की विभक्ति से/के द्वारा का प्रयोग होता है। 

2. भाववाचक ‘जाना’ क्रिया के साथ कर्तृवाच्य की क्रिया के काल वाला रूप लगाया जाता है। 

3. भाववाच्य में क्रिया हमेशा पुल्लिंग व् एकवचन रूप में प्रयुक्त होती है। 

अब चलें (कर्तृवाच्य)

अब चला जाए। (भाववाच्य)

हम सोएँगे (कर्तृवाच्य)

हमारे द्वारा सोया जाएगा। (भाववाच्य)

आओ घूमें (कर्तृवाच्य)

आओ, घूमा जाए (भाववाच्य)

बच्चा सो रहा है। (कर्तृवाच्य)

बच्चे से/के द्वारा सोया जा रहा है। (भाववाच्य)

कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य बनाना 

कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य बनाने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें –

1. करता से लगे ‘से’ या ‘के द्वारा’ को वापस हटा दिया जाता है। 

अध्यापक के द्वारा पुष्तकें बाटी गईं। (कर्मवाच्य) 

अध्यापक ने पुष्तकें बाँटीं। (कर्तृवाच्य)

2. यदि कर्मवाच्य में ‘जाना’ क्रिया सामान्य भूतकाल में दी गई हो तो कर्तृवाच्य में बदलते समय करता के साथ ‘ने’ विभक्ति का प्रयोग करते हुए वाच्य परिवर्तन किया जाता है। 

तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस ग्रन्थ लिखा गया। (कर्मवाच्य)

तुलसीदास ने रामचरित मानस ग्रन्थ लिखा। (कर्तृवाच्य)

आपके लिए वर्कशीट कृपया इसे करके कमेंट में बताएं। 

इन वाक्यों की क्रियाओं के वाच्य बताओ। 

1) काव्या फूल तोड़ती है। 

2) रेलगाड़ी चालक द्वारा चलाई जा रही है। ‘

3) मुझसे अब पढ़ा जाता है। 

4) हवा चल रही है। 

5) गाय द्वारा घास खाई गई। 

6) मारिया दूध नहीं पीती। 

7) मुझसे और नहीं चला गया। 

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