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वचन क्या है? एकवचन और बहुवचन में अंतर, उदाहरण समेत

दोस्तों आप सब ने वचन के बारे में तो पहले से ही सुन रखा होगा। ये दो प्रकार के होते हैं – एकवचन(Ekvachan) और बहुवचन (Bahuvachan)। आज हम वचन को सरल शब्दों से जानेंगे। 

वचन की परिभाषा (Vachan ki Paribhasha):

संज्ञा या सर्वनाम के उस रूप को वचन कहते हैं, जो उसके एक या एक से अधिक होने का बोध करता है। 

वचन के भेद (Vachan ke Bhed) 

वचन के दो भेद होते हैं – एकवचन और बहुवचन 

1. एकवचन (Ekvachan)

 शब्द के जिस रूप से संख्या में एक होने का बोध हो, उसे एकवचन कहते हैं।  जैसे –

एकवचन के उदाहरण 

वह मेरे चाचा जी हैं।

वह मेरे लिए चाय लाया। 

आप कब आए?

2. बहुवचन (Bahuvachan)

शब्द के जिस रूप से उसकी संख्या में एक से अधिक होने का बोध हो, उसे बहुवचन कहते हैं। 

बहुवचन के उदाहरण:

लड़के खेल रहे हैं। 

दरवाज़े बंद करो। 

बड़ों के आदर के लिए भी हम किसी शब्द के बहुवचन का प्रयोग करते हैं। 

दादा जी आ रहे हैं। 

माता जी घर पर नहीं हैं। 

ऊपर दिए दोनों वाक्यों में ‘हैं’ का प्रयोग किया गया है, जो कि बहुवचन है। लेकिन आदरसूचक शब्दों में हम ‘हैं’ का प्रयोग कर लेते हैं। जबकि उनको एकवचन ही माना गया है। 

वचन (Vachan) का प्रभाव: 

जिस प्रकार संज्ञा  लिंग बदलने पर पूरा वाक्य प्रभावित हो जाता है, उसी प्रकार संज्ञा या सर्वनाम के वचन के बदलने पर वाक्य के दुसरे भागों पर भी प्रभाव है। 

वचन के बोलने से क्रिया भी प्रभावित होती है। जैसे-

वह आ रहा है।  (एकवचन)

वे आ रहे हैं।  (बहुवचन)

वह मोटरसाइकिल चला रहा है। (एकवचन)

वे मोटरसाइकिल चला रहे हैं। (बहुवचन)

वचन के बदलने का प्रभाव विशेषण पर भी पड़ता है।  जैसे- 

कला घोड़ा भाग गया। (एकवचन)

काले घोड़े भाग गए (बहुवचन)

नीला कपड़ा सूख गया।  (एकवचन)

नीले कपडे सूख गए। (बहवचन)

वचन सम्बन्धी कुछ विशेष बातें 

कभी-कभी वचन बदलने से संज्ञा का रूप नहीं बदलता। जैसे-

1. पत्थर टूट गया। (एकवचन)

2. पत्थर टूट गए। (बहुवचन)

आप देख सकते हैं कि ऊपर दिए हुए दोनों वाक्यों में वचन का परिवर्तन हुआ है मगर संज्ञा ‘पत्थर’ में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, आप यहाँ पर बहुवचन में बदलने के लिए पत्थर को पत्थरों नहीं लिख सकते यह एक असुद्ध शब्द बन जायेगा जिसके  कारण पूरा वाक्य असुद्ध हो जाएगा। 

अन्य उदाहरण देखें। 

3. फूल खिल उठा। (एकवचन)

4. फूल खिल उठे। (बहुवचन)

प्रायः संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया और विशेषण के रूप को बदल कर ही उसके वचन में बदलाव लाया जा सकता है।  जैसे-

गधा, गधे, गधों 

बच्चा, बच्चे, बच्चों 

लड़का, लड़के, लड़कों 

समुदायवाचक संज्ञा में एक से अधिक लोगों के लिए एकवचन का प्रयोग होता है। जैसे-

सेना तैयार है। (एकवचन)

कक्षा में शोर हो रहा है। (एकवचन)

कुछ शब्दों में कारक शब्द जुड़ने से संज्ञा या सर्वनाम के वचन में परिवर्तन आ जाता है। जैसे-

माता-माताओं 

बेटा-बेटों 

बहन-बहनें, बहनों 

भाई- भाइयों 

बच्चा- बच्चों 

ध्यान दें – सम्बोधन के लिए बहुवचन रूप में ‘माताओं’, ‘बेटों’, इत्यादि के स्थान पर ‘माताओं’, ‘बेटों’ इत्यादि आता है। कुछ संज्ञा शब्द हमेशा एकवचन में ही प्रयोग किये जाते हैं। जैसे-

पानी, घी, आग, चाँद, सूरज, धरती, सच, तथा मिथ्या।

पदार्थ के रूप में वायु भी हमेशा एकवचन में ही प्रयोग होती है।

कुछ संज्ञा शब्दों को हमेशा बहुवचन में प्रयोग किया जाता है। लेकिन इसमें हमेशा किसी एक व्यक्ति की ही बात की जाती है। जैसे-

मैंने हस्ताक्षर कर दिए। (बहुवचन) 

यहां देखा जाये तो यह पूरा वाक्य ही बहुवचन में है, वाक्य पढ़ कर पता चल रहा है की व्यक्ति ने कई हस्ताक्षर किये हैं। मगर हमने यहां संज्ञा को एक वचन ‘हस्ताक्षर’ में ही लिखा है। हम इसे ‘हस्ताक्षरों’ नहीं लिख सकते, यह असुद्ध होगा।

मेरे आँशु निकल रहे हैं। (बहुवचन)

गर्व या स्वाभिमान के लिए बहुवचन का प्रयोग होता है। जैसे-

हमने कहा था सो हम आ गए। (एकवचन)

अब यहां पर एक ही व्यक्ति आया है, लेकिन मैं के स्थान पर बहुवचन ‘हम’ का प्रयोग किया गया है। 

सभ्यता से पेश आने के लिए हम ‘तू’ के स्थान पर ‘तुम’ बहुवचन का प्रयोग करते हैं। जैसे-

रोहित, तुम चले जाओ।

काजल, तुम बड़ी ही बुद्धिमान हो। 

आदर के लिए बहुवचन का प्रयोग होता है। जैसे-

पिता जी बहार गए हैं। 

यहां पर ‘पिता’ एकवचन में होने पर भी ‘हैं’ बहुवचन का प्रयोग करके उनको आदर दिया गया है। 

वचन परिवर्तन (Vachan Parivartan)

अब तक हमने वचन के कुछ महत्वपूर्ण नियम पढ़े, चलिए अब देखते हैं की एकवचन को बहुवचन में कैसे बदलते हैं।

एकवचन – बहुवचन 

घोडा – घोड़े 

बस्ता – बस्ते 

कटोरा – कटोरे 

डिब्बा – डिब्बे 

पौधा – पौधे 

रास्ता – रास्ते 

चश्मा – चश्मे

कमरा – कमरे 

खम्भा – खम्भे 

काला – काले 

मटका – मटके 

पत्ता – पत्ते 

दाना – दाने 

पर्सर्ग रहित स्त्रीलिंग ‘अकारान्त’ शब्दों में ‘अ’ को ‘एँ’ में बदलकर 

एकवचन – बहुवचन 

याद – यादें 

बोतल – बोतलें 

नहर – नहरें 

पुस्तक – पुस्तकें 

कलम – कलमें 

रात – रातें 

सड़क -सड़कें 

बात – बातें 

बहन – बहनें 

किताब – किताबें 

भैंस – भैंसें 

लहर – लहरें 

परसर्ग रहित स्त्रीलिंग ‘अकारान्त’ शब्दों में ‘एँ’ जोड़कर

एकवचन – बहुवचन 

माला – मालाएँ 

बला – बलाएँ 

दवा – दवाएँ 

हत्या – हत्याएँ 

हवा – हवाएँ 

लता – लताएँ 

घटा – घटाएँ 

बाला – बलाएँ 

कला – कलाएँ 

परसर्ग रहित स्त्रीलिंग ‘इकारांत’ शब्दों में ‘याँ’ जोड़कर। 

एकवचन – बहुवचन 

तिथि – तिथियाँ 

पंक्ति – पंक्तियाँ 

नीति – नीतियाँ 

जाति – जातियाँ 

विधि – विधियाँ 

निधि – निधियाँ 

परसर्ग रहित स्त्रीलिंग ‘ईकारांत’ शब्दों में ‘ई’ को ‘इयाँ’ में बदलकर

एकवचन – बहुवचन 

बाली – बालियाँ 

बर्फी – बर्फियाँ 

लड़की – लड़कियाँ 

भाभी – भाभियाँ 

दवाई – दवाइयाँ 

पाती – पातियाँ 

टुकड़ी – टुकड़ियाँ 

लड़ी – लड़ियाँ

स्त्री – स्त्रियां 

मिठाई – मिठाइयाँ 

घडी – घड़ियाँ 

कड़ी – कड़ियाँ 

चाबी – चाबियाँ 

टोपी – टोपियाँ 

मकड़ी – मकड़ियाँ 

परसर्ग रहित स्त्रीलिंग ‘उकारांत’ या ऊकारांत शब्दों को ‘उएँ’ में बदलकर 

एकवचन – बहुवचन 

वस्तु – वस्तुएँ 

ऋतु – ऋतुएँ  

लू – लूएँ 

बहू – बहुएँ

धातु – धातुएँ 

धेनु – धेनुएँ 

परसर्ग रहित स्त्रीलिंग में ‘या’ हो तो उसे ‘याँ’ में बदलकर। 

चुहिया – चुहियाँ 

चिड़िया – चिड़ियाँ 

डिबिया – डिबियाँ 

बुढ़िया – बुढ़ियाँ 

बिटिया – बिटियाँ 

गुड़िया – गुड़ियाँ 

लुटिया – लुटियाँ 

कुतिया – कुतियाँ 

कुटिया – कुटियाँ 

कभी कभी बहुवचन बनाने के लिए ‘जन’, गण’, ‘वर्ग’, वृन्द’, आदि जोड़कर। 

गुरु – गुरुजन 

अधिकारी – अधिकारीवर्ग 

छात्र – छात्रगण 

दर्शक – दर्शकगण 

शिक्षक – शिक्षकगण 

पाठक – पाठकगण/पाठकवृंद 

परसर्ग सहित पुल्लिंग/स्त्रीलिंग शब्दों के बहुवचन रूप अंत में ‘ओं’ जोड़कर किन्तु यदि शब्द ‘ईकारांत’ या ‘ऊकारांत’ हो, तो अंत में ‘ई’/ऊ’ को ‘इ/उ’ बनाकर। 

घर – घरों 

वाहन – वाहनों 

लता – लताओं 

समिति – समितियों 

जाती – जातियों 

नदी – नदियों 

लड़की – लड़कियों 

ऋतु – ऋतुओं 

डाकू – डाकुओं 

लड़के – लड़कों 

कुछ ‘अकारान्त’ पुल्लिंग शब्दों का बहुवचन रूप बनाने के लिए मूल शब्द ज्यों-का-त्यों रखते हुए उसके आगे कई अनेक लगाकर। 

नेता – कई/अनेक नेता 

मुखिया – कई/अनेक मुखिया 

मौसा – कई/अनेक मौसा 

राजा – कई/अनेक राजा 

सम्बोधनसूचक स्त्रीलिंग/पुल्लिंग शब्दों के अंत में ‘ओ’ या ‘यो’ जोड़कर।

हे बालक – हे बालको 

हे मुनि – हे मुनियो 

हे भाई – हे भाइयो 

अरे डाकू – अरे डाकुओ

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