link ke bhed

लिंग की परिभाषा, भेद, उदाहरण और परिवर्तन और उनकी पहचान- Streeling aur Pulling

लिंग के बारे में आपने पहले ही सुन रखा होगा, हम यहां पर लिंग के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे। लिंग का काम है नर तथा मादा का बोध कराना।

लिंग किसे कहते हैं? (Ling Kise Kahte hain?)

लिंग की परिभाषा (लिंग की परिभाषा) संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसके नर जाती या मादा जाती का बोध हो, उसे लिंग (Ling) कहते हैं।

प्राणीवाचक संज्ञाओं में लिंग-भेद करना सरल होता है। जैसे – कबूतर, लड़का, पुल्लिंग है जबकि कबूतरी, लड़की स्त्रीलिंग है। प्राणियों में लिंग-भेद प्रकृति द्वारा ही निर्धारित होता है। 

अब रही बात अप्राणिवाचक संज्ञाओं की। उनमें भी लिंग-भेद होता है। हाँ उसकी पहचान परंपरागत प्रयोग से ही हो पाती है। जैसे –

मेज़ ऊंची है। (‘मेज़’ स्त्रीलिंग है।)

सेब अधपका है। (‘सेब’ पुल्लिंग है।)

अब एक बात तो स्पष्ट है की शब्द के रूप या वाक्य में उसके प्रयोग से ही हमें यह पता चलता है कि शब्द स्त्रीलिंग जाती का है या पुरुष जाती का। 

लिंग के भेद – Ling ke Bhed

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हिंदी में लिंग के दो भेद होते हैं। 

स्त्रीलिंग और पुल्लिंग। (Streeling aur Pulling)

स्त्रीलिंग – जिन संज्ञा या सर्वनाम शब्दों से स्त्री जाती का बोध होता है, उन्हें स्त्रीलिंग कहा जाता है। 

जैसे – चिड़िया, बकरी, बच्ची, नानी, दादी, मासी, माता। 

पुल्लिंग – जिन संज्ञा या सर्वनाम शब्दों से पुरुष जाती का बोध होता है, उन्हें पुल्लिंग कहा जाता है। 

जैसे – पिता, दादा, नाना, मामा, चाचा, बच्चा, बन्दर। 

लिंग की पहचान (Ling Ki Pahchan)

जैसा की आपने पढ़ा, सजीव संज्ञाओं का लिंग निर्धारण करना सरल है लेकिन निर्जीव वस्तुओं (संज्ञाओं) में तो लिंग निर्धारण के लिए परम्परागत नियमों का ही सहारा लेना पड़ता है। 

पुल्लिंग निर्धारण के कुछ आधारभूत नियम 

pulling ke udahran

आइए देखते हैं कौन से शब्द पुल्लिंग हैं, और पुल्लिंग शब्दों के निर्धारण के नियम क्या हैं।  

कुछ विशेषण समूहों के शब्द सदैव पुल्लिंग के रूप में प्रयोग किये जाते हैं। यद्यपि इनमें भी कुछ शब्दों के अपवाद भी मिलते हैं। 

1. देशों के नाम 

देशों के नाम हमेशा पुल्लिंग में होते हैं, जैसे – भारत, पकिस्तान, रूस, जापान, अफगानिस्तान, चीन, अमेरिका। (अपवाद – श्रीलंका जो स्त्रीलिंग है। )

2. वृक्षों के नाम – आम, केला, अखरोट, अशोक, अनार, बरगद, पीपल, चीड़, शीशम।

3. ग्रहों के नाम – मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, राहु, केतु, सूर्य।

4. पर्वतों के नाम – विध्यांचल, हिमालय, नीलगिरि।

5. समय, दिनों एवं महीनों के नाम – पल, सैकेंड, मिनट, घंटा, दिन, सप्ताह, पक्ष, माह, वर्ष, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार, और रविवार। इसी प्रकार  महीनों के नाम भी पुल्लिंग होते हैं, जैसे- ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रवण, भादो। (अपवाद- तारीख और तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।  जैसे- पहली तारीख, पूर्णिमा, सुबह, शाम, दोपहर, तथा रात भी स्त्रीलिंग हैं।) 

6. जलीय और स्थलीय भागों के नाम पुल्लिंग होते हैं। – सागर, हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर, प्रान्त, प्रदेश, जिला, ग्राम, नगर, राज्य। (अपवाद – नहर, नदी और झील स्त्रीलिंग हैं। )

7.  रत्नों एवं धातुओं के नाम: – सोना, हीरा, मोती, पन्ना, लोहा, मूंगा, माणिक। (अपवाद- चाँदी एवं मणि स्त्रीलिंग हैं। )

8. शरीर के अवयवों के नाम: – मस्तिष्क, माथा, मन, कान, होंठ, दांत, हाथ, पैर, बाल, और मुंह। (अपवाद- आँख, नाक, कोहनी, जीभ, काँख, चमड़ी, (त्वचा), एड़ी, पलकें, जांघ, कलाई, और ऊँगली स्त्रीलिंग हैं।)

9. अनाजों के नाम पुल्लिंग होते हैं। :- गेंहूँ, चना, बाजरा, जौ, चावल। (अपवाद- जई, ज्वार और मक्की स्त्रीलिंग हैं।)

10. द्रव पदार्थों के नाम:- घी, तेल, पानी, दूध, शरबत, सिरका। (अपवाद – चाय और लस्सी स्त्रीलिंग हैं।)

11. प्राणीवाचक शब्दों में पुरुष जाती के बोधक: – आदमी, पुरुष, बालक, युवक, पिता, वृद्ध, लड़का, भाई, मामा, चाचा, शेर, सांप, खरगोश, चीता, बिच्छू, मच्छर, गरुड़, गैंडा, पशु, पक्षी। (ये सब पुल्लिंग हैं)

12.  समूहवाची शब्द: परिवार, कुटुंब, मंडल, दल, संघ, समूह, हाथियों का झुण्ड। (अपवाद:- कक्षा, भीड़, सेना स्त्रीलिंग हैं।)

13. वर्णमाला के अक्षर: अ, आ, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, क, ख, ग, घ, च, छ, प, फ, त, थ, (अपवाद – इ, ई, ऋ, स्त्रीलिंग हैं)

14. न, आव, पन, पा, त्व, प्रत्ययों से बनने वाले शब्द – जागना, सोना, हंसना, रोना, बैठना, चलना, छिपना, बहाव, दुराव, छिपाव, बचपन, लड़कपन, मोटापा, बुढ़ापा, महत्त्व, दानवत्व, मानवत्व, आदि शब्द पुल्लिंग हैं। 

15. भद्दी, मोटी, भारी-भरकम, जड़, वस्तुओं को बताने वाली संज्ञाएँ भी पुल्लिंग होती हैं।  जैसे- गड्ढा, गट्ठा, गट्ठर, लट्ठा, लक्कड़। 

स्त्रीलिंग की पहचान के कुछ आधारभूत नियम। 

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दोस्तों अब तक आपने पुल्लिंग के  पहचान के नियम जाने अब चलिए स्त्रीलिंग की पहचान के कुछ नियम जान लेते हैं। 

1. इकारांत और ईकारांत निर्जीव संज्ञाएँ प्रायः स्त्रीलिंग के रूप में जानी जाती हैं।  जैसे – निधि, रात्रि, चाबी, नई, हँसी, ख़ुशी, चटनी, रोटी, नदी, सरदी, गरमी, सब्जी, इलायची। (अपवादी – पानी, मोती, घी, और दही ई में समाप्त होने वाली पुल्लिंग संज्ञाएँ हैं।)

2. आई, आहट, आवट, इया, ई आदि प्रत्ययों से बानी संज्ञाएँ प्रायः स्त्रीलिंग के रूप में जानी जाती हैं। जैसे-

आई – सिलाई, पढाई, कढ़ाई, मिठाई, चढ़ाई, लम्बाई। 

आहट – हकलाहट, तुतलाहट, घबराहट, चिल्लाहट। 

आवट – मिलावट,थकावट, सजावट, बनावट, लिखावट। 

इया – लुटिया, डिबिया, चुहिया, गुड़िया। 

ई – सर्दी, गर्मी, अमीरी, गरीबी, दूरी, सूखी, गीली।  

3. लिपियों, भाषाओँ और बोलियों के नाम भी अधिकतर स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे – देवनागरी, पंजाबी, मराठी, गुजराती, फ़ारसी, हिंदी, रोमन, अवधी। 

4. तिथियों के नाम – प्रतिपदा, द्वितीया, चतुर्थी, पंचमी, सप्तमी आदि। 

5. नदियों के नाम – गंगा, यमुना, कोसी, गोदावरी, नर्मदा। (अपवाद – ब्रह्मपुत्र पुल्लिंग है।) 

6. शरीर के कुछ अंगों के नाम – आँख, नाक, गर्दन, हथेली, जाँघ, टाँग, पलक। 

7. अंत में आ लगने वाले तत्सम शब्द बहुधा स्त्रीलिंग होते हैं।  जैसे- शिक्षा, प्रतिमा, कक्षा, योग्यता, गुणवत्ता। 

8. आकार की दृष्टि से देखा जाए तो प्रायः छोटी चीज़ें स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे – पंखी, डिबिया, खटिया, लुटिया, डोरी, कटोरी।

लिंग परिवर्तन 

अब हम पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग में बदलना सीखते हैं। 

‘अ’ और ‘आ’ को ‘ई’ में बदलकर 

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग 

सुन्दर – सुंदरी 

मामा – मामी 

नर – नारी 

चाचा – चाची 

दास – दासी 

मौसा – मौसी 

कुमार – कुमारी 

चाहता – चहेती 

देव – देवी 

भाँजा – भाँजी 

पुत्र – पुत्री 

कटोरा – कटोरी 

शिष्य – शिष्या 

बकरा – बकरी 

बेटा – बेटी  

दादा – दादी 

नाना – नानी 

पोता – पोती 

‘आ’ को ‘इया’ में बदलकर 

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग 

बूढा – बुढ़िया 

लोढ़ा – लुटिया 

चिड़ा – चिड़िया 

गुड्डा – गुड़िया 

डिब्बा – डिबिया 

बीटा – बिटिया 

मुन्ना – मुनिया 

कुत्ता – कुतिया 

चूहा – चुहिया 

‘ई’ को ‘इणी’ या ‘इनी’ में बदलकर 

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग 

योगी – योगिनी 

स्वामी – स्वामिनी 

सन्यासी – सन्यासिनी 

हितकारी – हितकारिणी 

प्रवासी – प्रवासिनी 

तपस्वी – तपस्विनी 

परोपकारी – परोपकारिणी 

हाथी – हाथिनी 

ढोंगी – ढोंगिनी 

‘अक’ को ‘इका’ में बदलकर 

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग 

लेखक – लेखिका 

धावक – धाविका 

गायक – गायिका 

नायक – नायिका 

शिक्षक – शिक्षिका 

सेवक – सेविका 

बालक – बालिका 

पाठक – पाठिका 

परिचायक – परिचायिका 

अध्यापक -अध्यापिका 

नाटक – नाटिका 

याचक – याचिका 

‘वान’ को ‘वती’ और ‘मान’ को ‘मती’ में बदलकर 

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग 

ज्ञानवान – ज्ञानवती 

धनवान – धनवती 

रूपवान – रूपवती 

प्राणवान – प्राणवती 

सत्यवान – सत्यवती 

श्रीमान – श्रीमती 

पुत्रवान – पुत्रवती 

आयुष्मान – आयुष्मति 

भाग्यवान – भाग्यवती 

बलवान – बलवती 

गुणवान – गुणवती 

बुद्धिमान – बुद्धिमती 

‘अ’ के साथ ‘नी’ लगाकर 

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग 

चाँद – चाँदनी 

शेर – शेरनी 

मोर – मोरनी 

जाट – जाटनी 

ऊँट – ऊँटनी 

मजदूर – मजदूरनी 

भील – भीलनी 

सिंह – सिंहनी 

चोर – चोरनी 

कुछ संज्ञा शब्दों के अंतिम स्वर ‘अ’ में ‘आनि’ या ‘आनी’ लगाकर 

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग 

देवर -देवरानी 

इंद्र – इन्द्राणी 

नौकर – नौकरानी 

जेठ – जेठानी 

सेठ – सेठानी 

क्षत्रिय – क्षत्राणी 

अंत में ‘आ’ लगाकर 

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग 

बाल – बाला 

मूर्ख – मूर्खा 

प्रिय – प्रिया 

सुत – सुता 

छात्र – छात्रा 

शिष्य – शिष्या 

अध्यक्ष – अध्यक्षा 

आचार्य – आचार्या 

आत्मज -आत्मजा 

व्यवसाय या जातिसूचक शब्दों के अंत में ‘इन’ या ‘आइन’ लगाकर 

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग 

जुलाहा – जुलाहिन 

धोबी – धोबिन 

पंडित – पंडिताइन 

ग्वाला – ग्वालिन 

सुनार – सुनारीन 

चौधरी – चौधराइन 

नाई – नाइन 

लाला – ललाइन 

हलवाई – हलवाइन 

कुछ पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग बनाने के लिए स्वतंत्र शब्दों का प्रयोग किया जाता है। 

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग 

पिता – माता 

युवक – युवती 

भाई – भाभी 

मर्द – औरत 

पति – पत्नी 

कवी – कवयित्री 

वर – वधू 

पुरुष – स्त्री 

बैल – गाय 

नर – मादा 

साधु  – साध्वी 

बादशाह – बेगम 

विधुर – विधवा

ससुर – सास 

सम्राट – साम्राज्ञी 

कुछ शब्द नित्य पुल्लिंग या नित्य स्त्रीलिंग होते हैं। इनके लिंग परिवर्तन के लिए इनमें क्रमशः मादा व् नर जोड़ना पड़ता है।

नित्य पुल्लिंग – स्त्रीलिंग 

चीता – मादा चीता 

भालू – मादा भालू

खटमल – मादा खटमल 

खरगोश – मादा खरगोश 

उल्लू – मादा उल्लू 

गैंडा – मादा गैंडा 

नित्य स्त्रीलिंग – पुल्लिंग रूप 

मक्खी – नर मक्खी 

मछली – नर मछली 

चींटी – नर चींटी 

गिलहरी – नर गिलहरी 

कोयल – नर कोयल 

छिपकली – नर छिपकली 

लिंग परिवर्तन का प्रभाव (Ling Parivartan)

लिंग परिवर्तन से पूरी वाक्य रचना पर प्रभाव पड़ता है। जैसे – 

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग 

वह खा रहा है – वह खा रही है।  

मामा जी सो रहे हैं – मामी जी सो रही हैं।

पिता जी आ रहे हैं – माता जी आ रही हैं।

वह मेरा भाई है – वह मेरी बहन है। 

यह तो था वाक्य के स्तर पर परिवर्तन। अब हम लेंगे शब्द के स्तर पर परिवर्तन –

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग 

पवन, समीर – हवा, वायु 

अनल – आग, अग्नि। 

यहां पर शब्द एक ही हैं लेकिन उनके पर्यायवाची कहीं पर पुल्लिंग और कहीं पर स्त्रीलिंग के रूप में आते हैं।

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